Friday, November 7, 2008

अक्स हमारा नहीं आपका होता है.........

=हर रात एक अजीब इत्तेफाक होता है
आप जब याद आते हो एक सितारा चमकता है,
ढूंढती है निगाह और सामना आयनेसे होता है,
उसमें अक्स हमारा नहीं आपका होता है.........

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जब खयालोंमें विरानीयां नजर आती है,
बहार बनकर उसमें याद आपकी समाई,
तनहा नहीं कोई मंझर इस जिंदगीका अब,
जहां कदम हमारे बढे आपकी दोस्ती साथ नजर आयी......
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1 comment:

रवि रतलामी said...

बढ़िया प्रेम कविता है.

પૂરાલેખ / અર્કાઇવ

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