प्रिय गांधीजी,
तसवीर आपकी जब भी देखती हूं,
आप हमेशा क्यों हंसते नजर आते हो ??
लोग आपका मजाक बना चूके है जब,
और ये आप है की उनकी सोच पर ही हंसते जाते हो......
लाखों लोगोके समर्पण पर बनी
हमारी आजादीकी ये ईमारत है .....
दिमत खा रही है आपके आदर्शोंको जब ,
सिर्फ किताबमें रहे उन उसुलोंसे दिमतका पेट तो भर रहा है.......
आप कल भी हमारे करीब थे और आज भी करीब ही है,
कल हमारे आदर्शोंमे तो आज सिर्फ हरी हरी नोटोंमें.........
सत्यमेव जयते एवं अहिंसा परमो धर्म .....
ये राजमार्ग पर चलकर आपने थी आजादी दिलवाई.....
लेकिन सिर्फ " अ"ने सिध्धांत जरा सा बदल लिया है,
तो अब है असत्यमेव जयते एवं हिंसा परमो धर्म...................
2 comments:
बहुत सटीक लिखा है\
कृअपया इसे पढे।
http://pappee.blogspot.com/
आप सभी को गाँधी जी, शास्त्री जी की जयंति व ईद की बहुत बहुत बधाई।
सच में गांधीजी के आदर्श आज सिर्फ़ गाँधी जयंती की जयंती पर ही लोगों को याद आती है.सच लिखकर आपने लोगों का आँख खोलने का काम किया.
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