Saturday, August 30, 2008

चाँदने की होगी बेवफाई...??!!

एक अनाम शायर की कलम को मैंने यूं कहते हुए पाया :

सूरजने चाँद से जरूर मोहब्बत की होगी ,तभी चाँद पर दाग है ,

चाँदने की होगी बेवफाई ,इसी लिए सूरज में इतनी आग है .....

मैंने कुछ ऐसे ही लिखा चाँद की वकालत करते हुए :

चाँद को यूं बेवफा मत समजिये......

चाँद तो तैयार था पूरा पिघल जाने को सूरजकी झुलसा देती आगमें,

पर चाँद का यूं झुलस जाना सूरजको गंवारा न हुआ ,

तभी एक रात सूरज चुपचाप वहांसे रवाना हुआ ........

आज तक हमने चाँदको रातमें करवटें बदलकर ,

सूरजका इंतजार करते हुए देखा है ....

पूर्णमासीकी पूरी रात चाँद सोता नहीं ,

थका हुआ चाँद अमावस को आता ही नहीं ....

हमने चाँद के आंसूओ को देखा है ,

सितारे बनकर आसमान पर चमकते हुए रातों में ....

हम रहे या ना रहे ...

चाँद सूरज की ये दास्ताने मोहब्बत तो अमर है .....

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પૂરાલેખ / અર્કાઇવ

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