Monday, December 1, 2008

एक सूरज आप भी उगाओ,


एक कदम चलते हैं हम , एक कदम आप भी चलो,
एक उंगली हम थामते हैं, एक हाथ आप भी बढाओ,
एक किरण हम देते हैं, एक सूरज आप भी उगाओ,
एक हंसी हम देते हैं, एक खुशियोंका बाग आप खिलाओ.............
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जिंदगीको चलो एक जिंदगीमें ढूंढती है,
खुशीके एक छोटेसे पलको आने वाले हर पलमें ढूंढते हैं,
कुछ अल्फाजोंको एक कोरे कागजमें ढूंढते हैं,
आज इस गैरोंकी भीडमें कुछ चेहरोंमें अपनेपनको ढूंढते हैं............
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